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15 दिन बाद शनिश्चरी अमावस्या:शिप्रा के त्रिवेणी घाट पर श्रद्धालु आएंगे स्नान करने
यह है उज्जैन-इंदौर रोड स्थित शनि मंदिर के समीप शिप्रा नदी का त्रिवेणी घाट। अभी घाट का ज्यादातर हिस्सा सूखा है। यह हालात तब हैं जब 15 दिन बाद (13 मार्च) को शनिश्चरी अमावस्या का स्नान पर्व है। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे और शिप्रा में स्नान कर शनिदेव का पूजन-अर्चन करेंगे। ऐसे में जिला प्रशासन ने इस घाट को पानी से भरने से लिए तैयारी शुरू कर दी है।
पाइप लाइन के जरिए नर्मदा का करीब दो एमसीएम पानी मंगवाने की प्लानिंग है। यह पानी घाट के पास स्थित ग्राम हरियाखेड़ी के नागफनी से शिप्रा में मिलता हुआ आगे बढ़ेगा। कलेक्टर आशीष सिंह ने समय रहते त्रिवेणी के सहित शिप्रा के अन्य प्रमुख घाटों पर पर्याप्त व साफ पानी के भराव का इंतजाम करने सहित अन्य जरूरी व्यवस्थाओं के निर्देश एनवीडीए, जल संसाधन व नगर निगम को दे दिए हैं।
प्लानिंग यह भी है कि नर्मदा से आने वाले अधिकतर पानी को त्रिवेणी घाट पर रोका जाएगा और कुछ पानी को आगे गऊघाट से बढ़ाते हुए रामघाट तक ले जाया जाएगा ताकि शनिश्चरी अमावस्या के पहले 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व पर आने वाले श्रद्धालुओं को भी शिप्रा के घाटों पर स्नान के लिए साफ पानी मिल सके। जल्द ही रामघाट पर जमा गंदे पानी को आगे बहाने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।
भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट: पाइप लाइन के जरिए नर्मदा का दो एमसीएम पानी मंगवाकर शिप्रा के घाटों को भरा जाएगा
चुनौती : बांध में दरार, कान्ह का पानी मिलने का अंदेशा
2019 में शनिश्चरी अमावस्या पर त्रिवेणी घाट पर समय रहते प्रशासन स्नान के लिए पानी का प्रबंधन नहीं कर पाया था। श्रद्धालुओं को कीचड़युक्त पानी में स्नान को मजबूर होना पड़ा था। कांग्रेस शासन ने तब संभागायुक्त एमबी ओझा और कलेक्टर मनीष सिंह को हटा दिया था।
इसके बाद से हर स्नान पर्व को प्रशासन गंभीरता से लेता है। एक-दो दिन में कलेक्टर आशीष सिंह त्रिवेणी का निरीक्षण करेंगे। हालांकि नर्मदा से पानी मंगवाने के साथ प्रशासन के लिए चुनौती कान्ह का पानी शिप्रा में नहीं मिलने देने की भी रहने वाली है। क्योंकि त्रिवेणी पर कान्ह का गंदा पानी रोकने के लिए मिट्टी का जो अस्थायी बांध बनाया है, उसमें दरार पड़ने लगी है।